पत्नी

एक लडकी सारे रिश्ते नाते पीछे छोड़ नये अरमानो के साथ सब कुछ छोड़कर एक नये परिवेश में प्रवेश करती है । जहां के बारे में उसे कुछ नही पता होता है ।
वो अपनी सारी अल्हड़ता मस्ती बचपन सब कुछ छोड़ धीरता की साड़ी और गम्भीरता के गहनों में प्रवेश करती है नये वातावरण में और आटे की लोई की तरह ढाल लेती है खुद को नये वातावरण में जैसे शुरू से यही रही है ।
उसकी सुबह की दिनचर्या पति और पति के घर से शुरू होती है रात के सोने तक वो माता , मंत्री,परिचारिका और प्रेमिका का कर्तव्य निभाती है ।
फिर नये दिन पर नये सपने के साथ जगती है । सोचिये जिसने आपके और आपके परिवार के लिए सबसे प्यारी चीज स्वतन्त्रता को तिलांजली दे देती है उसे आप कहते है तुम दिन भर घर में ही तो बैठी रहती हो ये शब्द कैसे सहती होगी ?
जब आपको पता भी नही होता की मैं आज ऑफिस जाऊंगा या नही तब वो पूरी तैयारी रखती है आप खायेंगे क्या पहनेंगे ऑफिस के लिए आपके बनियान से लेकर मोज़े और शर्ट की एक एक बटन तक का ख्याल रखती है फिर एकाएक आप कह देते है मैं कमाकर लाता हूँ तुम उड़ा देती हो क्या गुजरती होगी बेचारी पर ।
जो अपने माता पिता को याद करके रो लेती होगी कोने में पर आपके माता पिता की सेवा अपने माता पिता से ज्यादा करती है । उसे किसी बात पर झिडक देना कैसा लगता होगा ।
आपसे किसी महिला को बाते करते देख उसके पूछने पर की कौन थी वो आपको बुरा लगते है पर किसी अनजान व्यक्ति से बात करने पर आपका उसे ताने देना या पीट देना कैसा लगता होगा ।
आचार्य चाणक्य ने पत्नी के लिए कहा है "पत्नी मन्त्रणा में मंत्री से अच्छी भोजन के समय माता जैसी सेवा में परिचारिका जैसी और प्रेम में प्रेमिका से बेहतर होती है।"
न डालिए बन्दिशे इन चांदो पर इनकी शीतल रौशनी दुःख की रात को भी शीतल प्रकाश वाला दिन बना देती है ।

Comments

Popular posts from this blog

हिन्दू वैयक्तिक विधि==========

राम रावण युद्ध

शरद ऋतु