समान नागरिक संहिता

सिंह साहब !
अरे सिंह साहब !!
मैंने पलटकर आवाज की तरफ देखा तो मेरी पीछे वाली सीट पर क़ाजी साहब बैठे हुए थे । 
मेरे देखते ही तपाक से बोले - मुआफ़ी चाहता हूँ सिंह साहब आपसे मिलने का वक्त मयस्सर नही हो पाया । आप कह रहे थे आपको हमसे कोई ख़ास तक़रीर करनी थी ।
मैंने कहा - हां कुछ बात तो थी पर घर पर मिलिए तब बात होगी उसकी ।
और बताइये क्या हाल चाल है ? - मैंने पूछा
क़ाजी साहब बोले - क्या बताऊ अब सुन रहा हूँ कोर्ट समान नागरिक संहिता की बात कर रहा है । ये तो हमारे धर्म पर सीधा हमला है हम अल्पसंख्यको के साथ ये अन्याय है ये तो ।
आखिर आपको तक़लीफ़ क्या है इससे ? वैसे भी IPC CrPC CPC TPA वगैरह तो उसी तरह लागू होते है फिर क्यों विरोध कर रहे है ? - मैंने तल्ख लहजे में पूछा ।
क़ाजी साहब बोले - अरे साहब आप समझ नही रहे है । समान नागरिक संहिता लागू हो गयी तो हमारे यहाँ भी हम लोग एक से ज्यादा शादियां नही कर पाएंगे । बीबियो को इद्दत के बाद भी दूसरी शादी तक भरण पोषण देना पड़ेगा जो की हम लोगो ने इतनी मेहनत की 1986 में रोक लगवायी थी । मुता निकाह नही हो पायेगा शिया लोगो में । तलाक़ के हमारे आठो तरीके अमान्य हो जायेगा कोर्ट से तलाक़ होगा बड़ी दिक्कत आ जायेगी ।
हमने कहा - क़ाजी साहब एक बात बताइये ? क्या आप लोग महिलाओ को हमेशा बस हरम की चीज की समझेंगे या इंसान भी मानेंगे ? सोचिये जिस महिला को तलाक़ देते है अधिकतम 4 महीने 10 दिन का इद्दत काल होता है उसके बाद वो कैसे जीती खाती होगी ?
कभी सोचियेगा ।
ईश्वर न करे की आपकी बिटिया के साथ ऐसा हो पर अगर ऐसा आपकी बिटिया के साथ हो गया तो सोचिये क्या करेगी बेचारी । इसलिए अब वो मध्यकाल की विचारधारा छोड़िये आधुनिक भारत का निर्माण कीजिये और इसे अपनाइये ।
क़ाजी साहब धीरे से बोले बात तो आपकी भी सही है पर सिंह साहब हमारे नेता नही मानेंगे उन्हें राजनीती करनी है वोट की ।
हमने कहा तो फिर छोड़िये इन नेताओ को आगे बढिए ।

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