Posts

Showing posts from 2017

शरद ऋतु

Image
शरद ऋतु ============== कल अंकुर भैया ने हमसे कहा आखिर लोग हर किसी को सौ शरद की ही कामना क्यों करते हैं ? सौ ग्रीष्म, वर्षा, शिशिर, बसन्त या हेमंत क्यों नहीं ? आखिर 6 ऋतुएं होती हैं उसमें से शरद में ही ऐसा क्या है ? तो इस प्रश्न के उत्तर से पूर्व हम शरद ऋतु के बारे में जानते हैं । शरद ऋतु का समय विक्रम संवत पंचांग के अनुसार अश्विन (कुवार) और कार्तिक मास होता है जब वर्षा ऋतु समाप्त होती है तथा शिशिर ऋतु से पूर्व होता है । श्रीरामचरितमानस में में उल्लिखित है कि राम जी लक्ष्मण जी से शरद ऋतु के बारे में कहा है - वरषा विगत सरद ऋतु आई । लछिमन देहतु परम सुहाई ।। फूले कास सकल महि छाई । जनु बरषाँ कृत प्रकट बुढाई ।।    राम जी कहते हैं - हे लक्ष्मण ! देखो वर्षा ऋतु बीत गयी और परमसुन्दर शरद ऋतु आ गयी पुष्पित हुई कास की झाड़ियों के धरती ऐसे छा गई है जैसे वर्षा सुंदरी की वृद्धावस्था प्रकट हो गई है । महाकवि कालिदास ने ऋतुसंहार में शरद ऋतु का वर्णन करते हुए लिखा है - लो आ गई यह नववधू सी शोभायमान शरद नायिका ! कास के सफेद पुष्पों ढकी श्वेतवस्त्र धारण किये हुए जिसका मुख सफेद कमल के पुष्पो

लक्ष्मी का अवतरण

Image
लक्ष्मी का अवतरण ============ समुद्र मंथन से उत्पन्न होने वाले चौदह रत्नों में से लक्ष्मी एक हैं उन्होंने सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु का वरण किया । समुद्र मंथन की कथा में आठवें रत्न के रूप में लक्ष्मी अवतरित हुईं । समुद्र मंथन के लिए क्षीर सागर को चुना गया और मन्दराचल पर्वत की मथनी तथा वासुकी नाग को डोरी बनाया गया तथा इंद्र की अगुवाई में देवताओं तथा राजा बलि की अगुवाई में दैत्यों ने भाग लिया और कच्छप (कूर्म) रूप में भगवान विष्णु ने मन्दराचल को धारण किया । गीता में भगवान श्रीकृष्ण चन्द्र जी कहते हैं कि मैं सागरों में क्षीर सागर हूँ, पर्वतों में मन्दराचल हूँ, नागों में वसुकी हूँ, देवताओ में इंद्र हूँ तथा दैत्यों में महाराज बलि हूँ । अर्थात लक्ष्मी ने उसी का वरण किया जो कि जगत पालन का कार्य करता है तथा स्वयं के अन्तस् में स्वयं को साधन बनाकर स्वयं का मंथन किया । वास्तव में लक्ष्मी से तात्पर्य हमें  धन अथवा एक देवी मात्र से ही नहीं लगाना चाहिए अपितु इसके पीछे अन्य घटनाओं की तरह निहित दर्शन को जानना चाहिए । क्षीर सागर एक ऐसा समुद्र है जिसका आदि अंत का पता लगाना मनुष्य के लिए

कर चोरी, कालाधन और भ्रष्टाचार के नए आयाम क्रिप्टो करेंसी

Image
कल एक जन आये थे समझाने की बिटकॉइन जैसी क्रिप्टो करेंसी में निवेश कीजिये बड़ा रिटर्न है इसमें सरकारों का कोई हस्तक्षेप नहीं जैसी जैसी बातें । वास्तव में सबसे पहली क्रिप्टो करेंसी बिटकॉइन नाम से सतोसी नाकामुतो नाम के जापानी प्रोग्रामर ने तैयार किया 2008 में आज के दौर में यह दुनिया की सबसे महंगी करेंसी है $ (USD) और £ ( GBP) से भी महंगी पर इसकी कोई प्रतिभूति (गारन्टी) लेने वाला नहीं है । सबसे पहले जानते है मुद्रा आजकल जो  प्रचलन में है वो क्या है । वास्तव में एक नोट एक विशेष प्रकार का परक्राम्य लिखत (Negotiable Instrument) है जिसे वचन पत्र ( Promissory Note) कहते हैं जहां पर किसी राष्ट्र की सबसे बड़ी संस्था उस देश की सरकार का जो केंद्रीय बैंक होता है वो एक वचन (promise ) करता है कि मैं इस वचन पत्र को धारण करने वाले को इस वचन पत्र के मूल्य के बराबर धन अदा करने का वचन देता हूँ । यहां पर तो दिखने वाली एक संस्था प्रतिभूति दे रही है पर क्रिप्टो मुद्रा में कोई प्रतिभूति नहीं है । यहां तक कि लोगों ने सतोसी को देखा भी नहीं है । फिर भी इतना क्रेज क्यों है इस मुद्रा का जो न तो प्रमाणिक है और

राम रावण युद्ध

Image
सर्वप्रथम आप सभी को विजया दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं । आज के ही दिन वर्षों पूर्व भगवान श्रीराम ने एक आतताई असुर रावण का वध किया था और उसके पापों से समस्त पृथ्वी को मुक्त कराया था हम उसी सन्देश को अपने भीतर प्रतिस्थापित करने हेतु इस त्यौहार को प्रतिवर्ष मनाते हैं । इस विजयादशमी के सन्देश को जानने के लिए पहले हमें इस युद्ध के पात्रों तथा उसके पीछे के दर्शन को जनना होगा । सबसे पहले जानते है रावण कौन है । रावण मुनि पुलत्स्य के कुल में पैदा होने वाला ऋषि विश्रवा का पुत्र है तथा जन्म से ही दस सर वाला है । जैसा कि हम जानते हैं रावण अत्यंत पवित्र कुल में पैदा होता है और उसके दस सर वास्तव में धर्म के दस लक्षण हैं धैर्य, क्षमा, संयम, अस्तेय, पवित्रता, इन्द्रिय निग्रह, सद्बुद्धि, विद्या, सत्य और अक्रोध । किन्तु वह शिव की आराधना में अपने अपने दसों शिरो की बलि दे देता । शिव का अर्थ होता है कल्याण अर्थात स्वकल्याण के यज्ञ (कर्मों) में वह अपने दस सर यानी धर्म के दस लक्षणों की बलि दे देता है और उसके बदले उसे अधर्म के दस सिर प्राप्त होते हैं जो कि क्रमशः है अधीरता, क्रूरता, अपवित्रता, इंद्रियलोलुप

जाओ तोहे राम मिलेंगे

Image
 जाओ तोहे राम मिलेंगे =========== हमने अपने मित्र को दुःखी देखा तो उन्हें समझाया की एक असफलता जीवन में अवसरों का अंत नहीं होता है । पर हमेशा की तरह सामने वाले को तो समझाकर शांत किया और चेहरे पर फिर से मुस्कान ला दी पर मेरा क्या अब  उसका कष्ट मेरा हुआ उसका बोझ अब मैं लेकर टहल रहा था और खोज रहा था किसे दूं  । फिर सोचा चलो शिव से मिलते हैं वही ऐसी जगह हैं जहां पर अपने शोक को मैं छोड़ सकता हूँ । फिर क्या पँहुच गया शिव के सम्मुख उनसे अभिवादन किया तो बोले - कहो हिमांशु आज कैसे अभी जल्दी ही तो मिले थे । मैंने कहा - हे शिव! एक बोझ था बस वही उतारना था आपपर । शिव मुस्कान के साथ बोले - जब बोझ पड़ता है तभी याद करते हो ? चलो बताओ क्या बात है । मैं - हे महादेव ! व्यक्ति की असफलता उसे व्यथित क्यों कर देती है और उसकी व्यथा का निवारण कैसे हो ? शिव बोले - व्यक्ति की फल के प्रति आसक्ति ही व्यथा का कारण है यदि वो फल के प्रति आसक्त न हो तो कोई व्यथा नहीं होगी । अच्छा सुनो एक कथा सुनाता हूँ तुझे । एक राजकुमारी थी , रामभक्त थी । उसके पिता उसका विवाह करवाना चाहते थे पर वो नही चाहती थी विवाह आदि क

अध्यात्म पथ से विचलन

Image
कुर्सी पर बैठे बैठे पता ही नहीं चला कैसे नींद आ गयी तभी किसी का हाथ सर पर महसूस हुआ आंखें खोली तो देखा शिव खड़े थे । मैंने अभिवादन किया और  आसन दिया । शिव बोले - हिमांशु क्या बात है बड़े विचलित नजर आ रहे हो  । कोई शोक हो तो निःसंकोच हमसे कह सकते हो । मैं बोला - हे शिव !आध्यत्म के पथ पर चलने वालों का विचलन देखकर दुःख होता है । आखिर ये है क्या कोई षड्यंत्र है अथवा नियति या कुछ और ? शिव मुस्कुराते हुए बोले - बस इतनी सी बात पर परेशान हो तो सुनो एक कथा सुनाता हूँ सुनो - किसी नगर में आत्माराम नाम का एक व्यक्ति रहता था उसके घर में काफी गन्दगी रहती थी । एक बार राजा की कृपा से उसे एक गाय प्राप्त हुई जिसका नाम श्रद्धा रखा । वह जप, तप, व्रत, यम, नियम और संयम नाम की घास करती थी उसका भाव नाम का बछड़ा था जिससे पेन्हाकर वह निवृत्ति के पात्र में उसका सेवक जिसका नाम विश्वास है परमधर्म नामक दूध दुहता था । निष्काम रूपी अग्नि पर खूब गर्म करता है । उसे संतोष की हवा से ठंडा करता था और क्षमा का जामन डालकर धैर्य रूपी दही जमाता है । आनन्दपूर्वक विचार रूपी मथनी, दम रूपी आधार और सत्यवचन रूपी रस्सी से उ

टूटे चरखे : लड़ाई आर्थिक आजादी की ।

Image
टूटे चरखे : लड़ाई आर्थिक आजादी की ========== 15 अगस्त 1947 को जब सूर्य उगा तो आजादी की पहली किरण थी भारत में सबने कहा हम आज़ाद हुए । हमारी अंतरिम सरकार के प्रथम प्रधनमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अपना ऐतिहासिक सम्बोधन दिया राष्ट्र के नाम । ये लड़ाई इतनी आसान नहीं थी कि हम एक व्यक्ति को राष्ट्रनायक घोषित कर दें कि इन्ही ने आज़ादी दिलवाई न ही हम किसी एक पंथ को चाहे वो नरमपंथी हो या क्रांतिकारी इस आज़ादी का श्रेय दे सकते हैं । ये भारत की साझा लड़ाई थी और राष्ट्र के रामसेतु में पहाड़ रखने वाले हनुमान जी हो अथवा बालू का कण डालने वाली गिलहरी हो सब के सब हमारे लिए वंदनीय है वे हमसे श्रेष्ठ हैं उनका बलिदान हमसे बड़ा है राष्ट्र के लिए हमारे पास कोई अधिकार नहीं है किसी भी महामानव के चाहे सावरकर हो या गांधी अथवा आजाद या भगतसिंह अथवा नेता जी उनके स्वतंत्रता आंदोलन के कार्यो का मूल्यांकन करें । हमने कई तरह की स्वतंत्रता  की लड़ाई लड़ी एक साथ । मसलन- 1- राजनीतिक स्वतंत्रता , 2- सामाजिक स्वतंत्रता, तथा 3- आर्थिक स्वतंत्रता । हमने बेशक राजनीतिक स्वतंत्रता किस रीति से पाई क्रांतिकारी या नरमपंथी

महिलाओ के प्रति बढ़ते अपराध : बदलते मानवीय तथा नैतिक मूल्य ===============

Image
भारत के केन्द्रीय गृह मंत्रालय के संस्थान नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा ११ नवम्बर २०१६ को वर्ष २०१५ की क्राइम रिपोर्ट के आंकड़े जरी किये गये जिसमें महिलाओ के विरुद्ध अपराधो के कुल ३,२७,३९४ मामले भारतीय दंड संहिता और अन्य राज्य स्तरीय कानूनों के अंतर्गत दर्ज किये गये | जैसा कि इस पुस्तिका के आंकड़े बताते हैं कि इनमें स्व ४४३७ मामले तो बलात्संग के है | आगे इन आंकड़ो में प्रदर्शित है कि वर्ष २०१५ में भारत में दर्ज किये गये कुल अपराधों में महिलाओ के प्रति अपराध का प्रतिशत ५३.९% है तथा ८९.४ % मामलों में चार्जशीट भी दाखिल कि गयी है अर्थात ये मामले प्रथम दृष्टया सही पाए गये है | यही नहीं पिछले दस सालों में यानि वर्ष २००५ के मुकाबले इन अपराधों कि संख्या ८८.७% अधिक है तथा वर्ष २०१४ के मुकाबले २२.७% अधिक है |         आखिर इस भयानक तस्वीर के कारण क्या हैं ? क्या गरीबी ? अरे नहीं –नही हम तो लगातार ७.२% कि विकासदर से आगे बढ़ रहे है ये कैसे हो सकता है ? तो फिर क्या अशिक्षा इसका कारण है ? शायद हो सकता था किन्तु हमारी साक्षरता दर तो लगातार बढ़ ही रही है हम और ज्यादा आधुनिक तथा साधन और सुविधा

मुस्लिम वैयक्तिक विधि ( मुस्लिम पर्सनल लॉ)

Image
विवाह ( निक़ाह) ================ जस्टिस वली कहते हैं कि मुस्लिम विधि में निक़ाह कोई कोई संस्कार नहीं है बल्कि एक संविदा (समझौता) है जिसमें दोनों पक्षो के कुछ अधिकार व दायित्व उत्पन्न हो जाते है । फैजी के अनुसार जैसे विक्रय की संविदा में होती है वैसे ही निक़ाह में भी "एजाब" (प्रस्ताव) और "कुबूल" (स्वीकृति) होती है और मेहर का आदान प्रदान उसमें प्रतिफल (मूल्य) होता है । मुस्लिम विवाह के लिए आवश्यक है कि दोनों पक्षों ने "ख़यार-उल-बुलूग"(यौनागम) की अवस्था प्राप्त कर ली हो जो कि मुस्लिम विधि के अनुसार 15 वर्ष है । दूसरी शर्त है वे सम्बन्ध "करावल" (रक्त सम्बन्धी) , " मसारफ" (विवाह सम्बन्धी) तथा "रिजा" (धात्रेय या दुग्ध सम्बन्धी) न हों ।   तीसरी शर्त है जिस महिला से विवाह होगा वो या तो इस्लाम को मानने वाली हो अथवा किसी अन्य "किताबी मजहब" को अर्थात वो अग्निपूजक या बुतपरस्त न हो । चौथी शर्त है 2 पुरुष और स्त्री गवाह और वे मुसलमान हों किन्तु किसी गैर मुस्लिम के साथ यदि विवाह हो रहा हो तो एक गवाह गैर मुस्लिम भ