परी ( जागरण की अग्रदूत ) – २

गतांक में  आपने पढ़ा  की किस तरह  परी  को एक दहेज़ पीडिता मिलती है और उसे वो “आदर्श भारत” लाती है वहाँ पर दहेज़ प्रथा के उदय और उसके समाधान के बारे में शिव से चर्चा करती है | अब आगे --------
शिव ये देखिये किसी कृष्णा नाम की महिला की मेल आई है | इन्हें शायद सोशल मीडिया पर कोई परेशानी आ रही है – परी ने माउस पॉइंटर को मानीटर स्क्रीन पर स्क्रॉल करते हुए कहा |
शिव – क्या हुआ पूरी मेल पढ़िए |
परी – ये लिखती है की कोई धनंजय नामक लड़का इन्हें बार बार मैसेज करता है | आगे लिखती है की मैंने इन्हें ब्लाक किया पर ये बार बार नया अकाउंट बनाकर मैसेज करते रहते है इन्हें कही से मेरा whatsapp नंबर भी मिल गया है उसपर भी परेशान करते रहते है | मैं इस विश्वास के साथ आपको मेल कर रही हूँ की ‘परी’ और “आदर्श भारत” मेरी मदद अवश्य करेंगे |
शिव- ओह ! बुरा है | जरा इनसे धनंजय की प्रोफाइल का लिंक मांगिये |
परी- OK, कर दिया है मेल उन्हें |  शिव मेरे मस्तिष्क में एक सवाल उठ रहा है |
शिव – पूछिए ?
परी- शिव, लोग ऐसा क्यों करते है की बार बार महिलाओ को यु आलतू फालतू सन्देश और मित्रता के लिए निवेदन भेजते रहते है मना करने के बावजूद भी |जब वो कोई सिलसिला नही चाहती तो भी |
शिव – परी, आनंद और आनन्द की आशा दो शब्द सुने होंगे आप ने यही जिम्मेदार है इन सब के लिए | मनुष्य का हर कार्य इसलिए होता है की उसे आनंद मिले या फिर उसे आनंद मिलने की आशा होती है | एक चित्रकार ऐसे चित्र बनाता  है जिससे उसे आनंद मिले मूर्तिकार वही मूर्ती बनता है जिससे उसे आनंद मिले | लेखक वही लिखता है जिसमे उसे आनंद मिले |
परी- तो क्या इसका अर्थ है की हर कोई अपने आनंद के लिए हर किसी का प्रपीडन करे और दूसरो के कष्ट या दुःख का ध्यान न रखे ?
शिव- नही | इसी प्रवृत्ति को रोकने के लिए पहले नैतिकता शब्द का गठन किया गया जिसके अंतर्गत कर्तव्यो की संरचना की गयी है | और इन्हें अधिकारों के बराबर का दर्जा दिया गया |
परी- ये कर्तव्यो और अधिकारों का क्या घालमेल है जो मेरी समझ नही आया ?
शिव- अर्थात जो आपके कर्तव्य है दूसरो के प्रति वो दूसरो के अधिकार है तथा जो आपके अधिकार है दूसरो के प्रति वे दूसरो के कर्तव्य है आपके प्रति |
परी- रिप्लाई आ गयी शिव | ये देखिये धनंजय की प्रोफाइल का लिंक | पर प्रोफाइल पर कोई खास जानकारी दिख नही रही है |
शिव- ओह ! तो फिर एक काम कीजिये आप अपने अकाउंट से उसे मित्रता निवेदन ( Friend Request) भेजिए |
परी- जी | भेज दिया
पर शिव क्या केवल नैतिकता के नाते कोई किसी के अधिकारों का अतिक्रमण नही करेगा ? समाज का प्रत्येक व्यक्ति इतना नैतिक तो नही हो सकता की अपने कर्तव्यो का पालन करे |
शिव- सही कहा परी आपने इसीलिए प्राचीनकाल से ही दंड विधियों की रचना की गयी और विधिक अधिकारों के उल्लंघन पर व्यक्ति के लिए दंड की व्यवस्था की गयी है |
परी- अरे शिव ये देखिये इन महोदय का सन्देश भी आ गया | बहुत अच्छा बच्चा है महिलाओ से इन्हें अगाध प्रेम है ऐसा लगता है हमें |
शिव- वाह ! बहुत खूब  | अच्छा एक काम कीजिये सबसे पहले इनकी लोकेशन और IP एड्रेस ट्रेस कीजिये |
परी – OK, ये रहा इनका IP और ये कॉपी और अब पेस्ट एंड ट्रेस |
ये रही इनकी नेटवर्क कुंडली |
शिव इनके लिए हमारे कानून में क्या प्रावधान है क्या कोई विशेष धारा है इनके लिए या फिर समीकरणों के आधार पर सिद्ध करना पड़ेगा इनका दोष और दंड |
शिव- पहले तो नही थी कोई धारा समीकरणों के आधार पर ही सिद्ध करना पड़ता था पर “दामिनी कांड” के बाद “जस्टिस गुप्ता समिति” की संस्तुति पर “दंड विधि (संशोधन) अधिनियम २०१३” की ‘धारा ७’ द्वारा एक नई धारा भारतीय दंड संहिता ( IPC) में जोड़ी गयी “धारा ३५४-घ” जोड़ी गयी जो की ५ फ़रवरी २०१३ से प्रभावी हुई |
परी- इसमें क्या है ?
शिव- भारतीय दंड संहिता की धारा ३५४ घ की उपधारा १(ii) के अनुसार “जो कोई पुरुष किसी स्त्री द्वारा इन्टरनेट, इ-मेल या किसी एनी प्रकार की इलेक्ट्रानिक संसूचना(सोशल मीडिया) का प्रयोग किया जाना मानिटर करता है  उसे उस महिला का पीछा करना माना जायेगा |
परी- इसका दंड क्या होगा ?
शिव- भारतीय दंड संहिता की धारा ३५४घ की उपधारा २ के अनुसार पहली बार दोषसिद्धि पर ३ वर्ष तक के कारावास की सज़ा तथा उसके बाद की दोषसिद्धि पर ५ वर्ष के कारावास तक की सज़ा का के साथ साथ जुर्माने का प्रावधान है |
परी- यदि वो अश्लील मैसेज भेजता है तो ?
शिव- उसके लिए २०१३ में “धारा ३५४क” जोड़ी गयी है यदि कोई व्यक्ति स्त्री की इच्छा के विरुद्ध अश्लील चित्र आदि भेजता है या किसी प्रकार की लैंगिक याचना करता है तो उसे ३ वर्ष तक के “कठोर कारावास” से दण्डित किया जायेगा और यदि मात्र अश्लील शब्दों के मैसेज भेजता है १ वर्ष तक के कारावास से दण्डित किया जायेगा |
परी- आखिरी सवाल यदि कोई पुरुष किसी स्त्री के चित्रों( Photos) का उसकी अनुमति के बिना प्रयोग या प्रसार  करता है तो ?
शिव- २०१३ में ही “धारा ३५४ग” जोड़ी गयी जिसके अनुसार स्त्री की सहमती के बिना कोई पुरुष यदि उसके चित्रों का प्रसार या आदान प्रदान करता है तो १ वर्ष तक के कारावास के लिए दण्डित होगा दुबारा करता है तो ३ वर्ष तक का कारावास |
परी- धन्यवाद शिव | अब धनंजय की खैर नही अगर वो गलत हुआ तो |
शिव – बेस्ट ऑफ़ लक |


परी चली जाती है और शिव पुनः “आदर्श भारत” के उस छोटे से कक्ष में अपने कार्य में मशगूल हो जाते है |

Comments

Popular posts from this blog

हिन्दू वैयक्तिक विधि==========

राम रावण युद्ध

शरद ऋतु