कश्मीर और बाकी भारत - स्थितियां परिस्थितियां व विवेचना ।।


मीडिया की नजर में जम्मू कश्मीर से आशय मात्र श्रीनगर के आस पास का क्षेत्र होता है लेकिन जानना जरूरी है वास्तव में जमीनी सच्चाई क्या है इसकी ।

जम्मू कश्मीर के पूरे राज्य को हम चार भागों में बांट सकते हैं लेह लद्दाख क्षेत्र, जम्मू क्षेत्र , कश्मीर क्षेत्र तथा पाक अधिकृत कश्मीर । इसमें से लेह लद्दाख क्षेत्र और जम्मू क्षेत्र शांत क्षेत्र है यहां पर कोई डिस्प्यूट नहीं है । ये भारतीयता के प्रबल समर्थक लोग है । उसके बाद आता है आता है पाक अधिकृत कश्मीर जो कि पाकिस्तान द्वारा जबरदस्ती कब्जा लिया गया था और मामला संयुक्त राष्ट्र में होने के कारण यथास्थिति बनाये रखी गयी है लेकिन पाकिस्तानी जुल्म के कारण वे लोग अत्यंत कष्ट में हैं अगर उन्हें बाहर से कोई सहायता मिल जाये तो वे स्वतन्त्र होने की इच्छा रखते हैं ।

अब बात करते हैं बाकी कश्मीर की बाकी बचा हुआ कश्मीर जो है उसमें श्रीनगर के आस पास का जो क्षेत्र है जिसमें श्रीनगर का लालचौक क्षेत्र, पुलवामा,बड़गाम, गंदेरबल तथा बारामुला और किश्तवाड़ का कुछ क्षेत्र है जो कि आतंकियों का गढ़ है कारण है कि सबसे ज्यादा शासक और प्रशासक इसी क्षेत्र से हैं और पैसे वाले लोग भी । इनमें जो स्वतन्त्र शासन हथियाने की एक इच्छा जागी है शेख अब्दुल्ला के समय से ही । उन्होंने तभी से कुछ तर्क गढ़ लिए हैं अपने पक्ष में और उसी को बार बार वहां के युवाओं में भरा जाता है जिससे ये क्षेत्र आतंक की फैक्ट्री बन गया है ।

इसी क्षेत्र से निकलकर ये आतंकी बन्दीपोरा, कुपवाड़ा, बारामुला,पुंछ, कुलगाम,अनन्तनाग और कारगिल जिलों में आतंकी घटनाओं को अंजाम देते हैं जबकि यहां रहने वाले लोग जो कि डोगरी बोलते हैं ये लोग पाकिस्तान और इन आतंकी समदों से कट्टर नफरत करते हैं भारतीय सेना में भर्ती होने वाले सबसे ज्यादा लोग जम्मू कश्मीर के इन्हीं जिलों से आते है चाहे वो औरंगजेब खान रहा हो या कोई अन्य शहीद ज्यादातर इन्हीं क्षेत्रों से या जम्मू और लद्दाख क्षेत्र से आते हैं ।

पाकिस्तानी गोलीबारी का सबसे ज्यादा शिकार राजौरी, पुंछ, कुपवाड़ा, जम्मू, बारामुला, बन्दीपोरा और कारगिल जिलों के लोग होते हैं इसलिए ये लोग पाकिस्तान से औऱ जायद नफरत करते हैं तथा ये लोग ही श्रीनगर क्षेत्र के के आतंकियों को पाकिस्तान से मिलने से रोकते भी हैं । आप लोगों को पता होगा कि इन्हीं लोगों ने कबायली फौजों का तब तक सामना भी किया और रोके रहे जब तक भारतीय फ़ौज नहीं पहुँच गयी थी ।

असल में पूरा जम्मू कश्मीर न तो भारत से घृणा करता है और न ही वह भारत से अलग होना चाहता है लेकिन जो राजधानी क्षेत्र है वहां रहने वाले तथाकथित उच्च वर्ग के लोगों में जो राज का मोह जगा है और उन्होंने गढ़ा की हमारे पास अलग सम्विधान है इसलिए हम भारत से अलग है उसी सम्विधान की अनुच्छेद 8 और अनुच्छेद 24 कहता है कि “जम्मू और कश्मीर राज्य भारत का अभिन्न अंग है ।” तो फिर कहाँ से अलग रह गए लेकिन आतंक की फैक्ट्री चलाने के लिए तमाम तक गढ़े गए हैं । इन्होंने इस्लाम को दूसरा हथियार बनाया है अपने इस महत्वाकांक्षा को तुष्ट करने के लिए जिससे कि पूरे देश के कट्टरपंथी और इस्लामिक राष्ट्र इनकी मदद करते हैं । तीसरा है कुछ पूँजीवादी ताकतें जो पहले इनका समर्थन करती थीं अब उनका स्थान साम्यवादी ताक़तों ने ले लिया है ।

हमारे देश की मीडिया की समझ में भी पूरा जम्मू कश्मीर बस श्रीनगर और उसके आस पास के आतंकियों में दिखता है । मीडिया कभी जम्मू कश्मीर के शांत और भारत को प्रेम करने वाले क्षेत्र के बारे में बताता ही नहीं । इसलिए हमें लगता है पूरा कश्मीर भारत से नफरत करता है नहीं ऐसा नहीं है बस एक छोटा सा क्षेत्र है कश्मीर का जो भारत के खिलाफ फैक्ट्री चलाता है ।

इसे बदला जा सकता है उसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है जम्मू कश्मीर के पिछड़े क्षेत्रों को विकसित किया जाए ताकि वे मजबूती से श्रीनगर वालों के विरुद्ध खड़े हो सकें । श्रीनगर के क्षेत्र में इन आतंक की फैक्ट्री चलाने वालों को टारगेट किया जाए लेकिन उससे पहले शिक्षा में सुधार कर राष्ट्रीय शिक्षा की नीति लागू की जाए और शिक्षा की पहुँच सब तक पहुंचाई जाए । तथा उन्हें राष्ट्रवाद में पकाया जाए ।

असल में अनुच्छेद 370 खत्म करने से ज्यादा जरूरी है अनुच्छेद 35A हटाना सभी समस्याओं की जड़ यही 35A है न कि 370 । अनुच्छेद 370 वास्तव मात्र संविधान का भाग 6 जो कि राज्य के विषय में संरचना गठन और कार्य बताता है वही लागू होने से रोकती है लेकिन अनुच्छेद 35A कश्मीर को ढेर सारी विशेष शक्तियां दे देती है । जिसे खत्म किया जाना आवश्यक है ।

स्रोत - मानचित्र गूगल से, तथ्यों का स्रोत जम्मू कश्मीर स्टडी सर्किल, आचार्य डी डी बसु (भारत का संविधान)

लेखन - Himanshu U PN Singh

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