सफलता के दस (10) सूत्र
सफलता के 10 सूत्र -
1- मेहनत कीजिये ।
2- मेहनत के दो परिणाम सामने आते हैं सफलता और असफ़लता । असफलता की दशा में निराश न हों ।
3- असफलता यदि मिलती है तो उससे सीखें कहाँ त्रुटियां रह गईं जिसके कारण असफ़लता मिली ।
4- ईश्वर के प्रति अस्थावान बने यह आपके आत्मबल को बढ़ाता है और आत्महत्या की प्रवृत्ति को घटाता है ।
5- असफलता मिलने पर लोग सफलता के लिए छोटा रास्ता (शॉर्टकट) खोजने लगते हैं । यह बिल्कुल न करें यह आपको नैतिक रूप से भ्रष्ट तो बनायेगा ही साथ साथ आपके समय की बर्बादी और आपको मुश्किल में भी डाल सकता है ।
6- मेहनत से संतुष्ट न हों किन्तु फल से सदैव सन्तुष्ट रहें । मेहनत के प्रति असंतोष आपमें मेहनत करने की जिजीविषा को बढ़ाएगी तथा फल के प्रति सन्तुष्टि आपको मानसिक तनाव से मुक्त रखेगी ।
7- प्रत्येक परिस्थिति में ध्यान रहे कि कुछ भी नामुमकिन नहीं है किंतु हर कार्य उसकी सही मेहनत के आकलन के साथ शुरू करें । यदि आपका आकलन सही है तो हर कार्य आसान लगेगा अगर आपने कम आंका है मेहनत तो आपको कार्य कठिन लगेगा ।
8- हर कार्य जरूरी नहीं कि सामने से जितना आसान दिखता है उतना हो उसमें अनेक परीक्षाएं छिपी हुई रहती हैं इसलिए कार्य करते समय आपको आपात काल में विशेष निर्णय लेने की क्षमता को भी विकसित किये रखना चाहिए ।
9- कार्य में दो लक्ष्य होते हैं दोनों का ध्यान रखना चाहिए । प्रथम कार्य का प्रत्येक चरण तथा द्वितीय कार्य का अंतिम लक्ष्य । अतः कार्य के प्रत्येक चरण को कैसे करना है इसकी भी रणनीति जरूरी होती है तथा ध्यान सदैव कार्य के अंतिम लक्ष्य पर होना चाहिए ।
10 - अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण है स्वयं में कभी हीन भावना का प्रवेश न होने दें । आप बेहतरीन हैं, आपके कार्य के प्रति आकलन गलत हो सकते है या फिर आपने अपनी कार्य करने की पूरी क्षमता विकसित नहीं की है, ऐसा हो सकता है लेकिन ऐसा कुछ नहीं जो आप नहीं कर सकते यदि प्रयास करें तो ।
@Himanshu U PN Singh
1- मेहनत कीजिये ।
2- मेहनत के दो परिणाम सामने आते हैं सफलता और असफ़लता । असफलता की दशा में निराश न हों ।
3- असफलता यदि मिलती है तो उससे सीखें कहाँ त्रुटियां रह गईं जिसके कारण असफ़लता मिली ।
4- ईश्वर के प्रति अस्थावान बने यह आपके आत्मबल को बढ़ाता है और आत्महत्या की प्रवृत्ति को घटाता है ।
5- असफलता मिलने पर लोग सफलता के लिए छोटा रास्ता (शॉर्टकट) खोजने लगते हैं । यह बिल्कुल न करें यह आपको नैतिक रूप से भ्रष्ट तो बनायेगा ही साथ साथ आपके समय की बर्बादी और आपको मुश्किल में भी डाल सकता है ।
6- मेहनत से संतुष्ट न हों किन्तु फल से सदैव सन्तुष्ट रहें । मेहनत के प्रति असंतोष आपमें मेहनत करने की जिजीविषा को बढ़ाएगी तथा फल के प्रति सन्तुष्टि आपको मानसिक तनाव से मुक्त रखेगी ।
7- प्रत्येक परिस्थिति में ध्यान रहे कि कुछ भी नामुमकिन नहीं है किंतु हर कार्य उसकी सही मेहनत के आकलन के साथ शुरू करें । यदि आपका आकलन सही है तो हर कार्य आसान लगेगा अगर आपने कम आंका है मेहनत तो आपको कार्य कठिन लगेगा ।
8- हर कार्य जरूरी नहीं कि सामने से जितना आसान दिखता है उतना हो उसमें अनेक परीक्षाएं छिपी हुई रहती हैं इसलिए कार्य करते समय आपको आपात काल में विशेष निर्णय लेने की क्षमता को भी विकसित किये रखना चाहिए ।
9- कार्य में दो लक्ष्य होते हैं दोनों का ध्यान रखना चाहिए । प्रथम कार्य का प्रत्येक चरण तथा द्वितीय कार्य का अंतिम लक्ष्य । अतः कार्य के प्रत्येक चरण को कैसे करना है इसकी भी रणनीति जरूरी होती है तथा ध्यान सदैव कार्य के अंतिम लक्ष्य पर होना चाहिए ।
10 - अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण है स्वयं में कभी हीन भावना का प्रवेश न होने दें । आप बेहतरीन हैं, आपके कार्य के प्रति आकलन गलत हो सकते है या फिर आपने अपनी कार्य करने की पूरी क्षमता विकसित नहीं की है, ऐसा हो सकता है लेकिन ऐसा कुछ नहीं जो आप नहीं कर सकते यदि प्रयास करें तो ।
@Himanshu U PN Singh
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