पशु अधिकार
भारत विश्व का प्रथम राष्ट्र है जहां पर केवल मानवाधिकारों ही नहीं बल्कि सभी जीवो अर्थात पशुओं के अधिकार की भी बात की गयी है ।
लगभग 1500 ई0 पू0 के ग्रन्थ ईशोपनिषद में कहा गया है " अपने प्राणियों सहित यह विश्व पृथ्वी का है । कोई प्राणी किसी अन्य से उच्चकोटि का नही है । मानव प्राणी प्रकृति से ऊपर नही होने चाहिए । किसी एक प्रजाति को दूसरी प्रजातियों के अधिकारों और विशेषाधिकारों पर हस्तक्षेप नही करना चाहिए ।"
और ऐसा सन्देश देने वाले देश में बलि और क़ुरबानी दी जाती है ।
अपनी परम्पराएं भूल गए है भारतीय शायद पूर्वजों की थाती कहीं छूट गयी रास्ते में ही जब जीवन के लिए भरपूर अन्न प्राप्त है तो ये निरीह मूक की बलि या क़ुरबानी क्यों ?
आप अपने इष्ट को चाहे भगवान् कहें या अल्लाह या कुछ और पर आपके पुरखे एक ही है उनकी परम्परा का त्याग करना वास्तव में अपनी पहचान भूलकर गुलाम बन जाना है ।
-हिमांशु सिंह
लगभग 1500 ई0 पू0 के ग्रन्थ ईशोपनिषद में कहा गया है " अपने प्राणियों सहित यह विश्व पृथ्वी का है । कोई प्राणी किसी अन्य से उच्चकोटि का नही है । मानव प्राणी प्रकृति से ऊपर नही होने चाहिए । किसी एक प्रजाति को दूसरी प्रजातियों के अधिकारों और विशेषाधिकारों पर हस्तक्षेप नही करना चाहिए ।"
और ऐसा सन्देश देने वाले देश में बलि और क़ुरबानी दी जाती है ।
अपनी परम्पराएं भूल गए है भारतीय शायद पूर्वजों की थाती कहीं छूट गयी रास्ते में ही जब जीवन के लिए भरपूर अन्न प्राप्त है तो ये निरीह मूक की बलि या क़ुरबानी क्यों ?
आप अपने इष्ट को चाहे भगवान् कहें या अल्लाह या कुछ और पर आपके पुरखे एक ही है उनकी परम्परा का त्याग करना वास्तव में अपनी पहचान भूलकर गुलाम बन जाना है ।
-हिमांशु सिंह
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