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शरद ऋतु
शरद ऋतु ============== कल अंकुर भैया ने हमसे कहा आखिर लोग हर किसी को सौ शरद की ही कामना क्यों करते हैं ? सौ ग्रीष्म, वर्षा, शिशिर, बसन्त या हेमंत क्यों नहीं ? आखिर 6 ऋतुएं होती हैं उसमें से शरद में ही ऐसा क्या है ? तो इस प्रश्न के उत्तर से पूर्व हम शरद ऋतु के बारे में जानते हैं । शरद ऋतु का समय विक्रम संवत पंचांग के अनुसार अश्विन (कुवार) और कार्तिक मास होता है जब वर्षा ऋतु समाप्त होती है तथा शिशिर ऋतु से पूर्व होता है । श्रीरामचरितमानस में में उल्लिखित है कि राम जी लक्ष्मण जी से शरद ऋतु के बारे में कहा है - वरषा विगत सरद ऋतु आई । लछिमन देहतु परम सुहाई ।। फूले कास सकल महि छाई । जनु बरषाँ कृत प्रकट बुढाई ।। राम जी कहते हैं - हे लक्ष्मण ! देखो वर्षा ऋतु बीत गयी और परमसुन्दर शरद ऋतु आ गयी पुष्पित हुई कास की झाड़ियों के धरती ऐसे छा गई है जैसे वर्षा सुंदरी की वृद्धावस्था प्रकट हो गई है । महाकवि कालिदास ने ऋतुसंहार में शरद ऋतु का वर्णन करते हुए लिखा है - लो आ गई यह नववधू सी शोभायमान शरद नायिका ! कास के सफेद पुष्पों ढकी श्वेतवस्त्र धारण किये हुए जिसका मुख सफेद कमल ...
राम रावण युद्ध
सर्वप्रथम आप सभी को विजया दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं । आज के ही दिन वर्षों पूर्व भगवान श्रीराम ने एक आतताई असुर रावण का वध किया था और उसके पापों से समस्त पृथ्वी को मुक्त कराया था हम उसी सन्देश को अपने भीतर प्रतिस्थापित करने हेतु इस त्यौहार को प्रतिवर्ष मनाते हैं । इस विजयादशमी के सन्देश को जानने के लिए पहले हमें इस युद्ध के पात्रों तथा उसके पीछे के दर्शन को जनना होगा । सबसे पहले जानते है रावण कौन है । रावण मुनि पुलत्स्य के कुल में पैदा होने वाला ऋषि विश्रवा का पुत्र है तथा जन्म से ही दस सर वाला है । जैसा कि हम जानते हैं रावण अत्यंत पवित्र कुल में पैदा होता है और उसके दस सर वास्तव में धर्म के दस लक्षण हैं धैर्य, क्षमा, संयम, अस्तेय, पवित्रता, इन्द्रिय निग्रह, सद्बुद्धि, विद्या, सत्य और अक्रोध । किन्तु वह शिव की आराधना में अपने अपने दसों शिरो की बलि दे देता । शिव का अर्थ होता है कल्याण अर्थात स्वकल्याण के यज्ञ (कर्मों) में वह अपने दस सर यानी धर्म के दस लक्षणों की बलि दे देता है और उसके बदले उसे अधर्म के दस सिर प्राप्त होते हैं जो कि क्रमशः है अधीरता, क्रूरता, अपवित्रता, इंद्रियलोलुप...
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