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Showing posts from December, 2015

परी ( जागरण की अग्रदूत ) – २

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गतांक में  आपने पढ़ा  की किस तरह  परी  को एक दहेज़ पीडिता मिलती है और उसे वो “आदर्श भारत” लाती है वहाँ पर दहेज़ प्रथा के उदय और उसके समाधान के बारे में शिव से चर्चा करती है | अब आगे -------- शिव ये देखिये किसी कृष्णा नाम की महिला की मेल आई है | इन्हें शायद सोशल मीडिया पर कोई परेशानी आ रही है – परी ने माउस पॉइंटर को मानीटर स्क्रीन पर स्क्रॉल करते हुए कहा | शिव – क्या हुआ पूरी मेल पढ़िए | परी – ये लिखती है की कोई धनंजय नामक लड़का इन्हें बार बार मैसेज करता है | आगे लिखती है की मैंने इन्हें ब्लाक किया पर ये बार बार नया अकाउंट बनाकर मैसेज करते रहते है इन्हें कही से मेरा whatsapp नंबर भी मिल गया है उसपर भी परेशान करते रहते है | मैं इस विश्वास के साथ आपको मेल कर रही हूँ की ‘परी’ और “आदर्श भारत” मेरी मदद अवश्य करेंगे | शिव- ओह ! बुरा है | जरा इनसे धनंजय की प्रोफाइल का लिंक मांगिये | परी- OK, कर दिया है मेल उन्हें |  शिव मेरे मस्तिष्क में एक सवाल उठ रहा है | शिव – पूछिए ? परी- शिव, लोग ऐसा क्यों करते है की बार बार महिलाओ को यु आलतू फालतू सन्देश और मित्रता के लिए निवेदन भेजते रहते ह

एक विडंबना

बेटा सफल हुआ बड़ा हुआ बाप उसे बेचने की कोई अच्छा सा दाम देने वाला आ जाए सारे अरमान निकाल लूं । लड़की युवा हुई लड़की का बाप सोचने लगा की कितने का कितना महंगा लड़का खरीदू अपनी बेटी के लिए बेचारा खूब दौड़ता है । इसी बीच लड़का जो सफल है उसे एक लड़की से प्यार हो गया और दोनों ने शादी कर ली ।  लड़की के घर वाले गुस्सा हो गये हिम्मत कैसे हुई उसकी उस लड़के से शादी करने की जिसे मैंने उसके लिए लिए नही खरीदा और लड़के का बाप भी गुस्सा हो गया ये बिना पैसे के कैसे बिक गया । दोनों परिवारों ने मिलकर हत्या कर दी दोनों की । क्या मिला इससे कुछ नही लड़के के बाप का गुस्सा हमारी समझ में आता है की उसे लड़के को बेचने से जो धन मिलना था वो नही मिला पर लड़की के घर वालो का गुस्सा मेरी समझ के परे है की वो इतना गुस्सा क्यों है जब उन्हें मुफ्त में अपनी बिटिया के लिए अच्छा लड़का मिल गया ।।

एक छोटी सी प्रेम कहानी

कोई मेरी मदद करेगा हम से वो रूठ कर चली गयी है उन्हें वापस लाना है । है कोई मेरा अपना जो मेरी मदद करेगा मेरी उन्हें वापस पाने में उनके बिना जीना मुश्किल सा लगता है हम उनके साथ सदियों तक रहे हैं आज वो हमे छोड़ कर चली गयी  frown emoticon   cry emoticon बात बहुत पुरानी है पहले मैं काफी असभ्य और बर्बर था फिर जब मैंने उन्हें देखा मुझे उनसे प्यार हो गया लेकिन उन्होंने कहा मेरे लायक सभ्य और शांत बनो मैं खुद बी खुद खिची चली आउंगी । उन्होंने अपना वायदा निभ ाया मैं सुधरा वो बाकायदा रीती रिवाजो के साथ मेरी बन गयी । और उन्होंने तो यहाँ तक किया की मेरे लिए उन्होंने नाम बदल लिया मेरे हिसाब से नाम रखा की लगे की वो बस मेरी हैं । इस तरह हम ख़ुशी ख़ुशी बहुत दिनों तक जीवन जिया हमारे बच्चे भी है । पर कुछ दिन पहले उन्होंने कहा की मैं तुम्हारे साथ इस वातावरण में नही रह सकती तुम कितना भी सुधर गये हो पर तुम्हारे अपने फिर से असभ्य और बर्बर हो गये हैं क्या पता तुम भी कल वैसे ही हो जाओ सारा दोष मुझपर आएगा । मैंने बहुत मनाया की बाकी सबसे क्या मतलब मैं हूँ न आपके साथ उन्होंने कहा नही तुम्हारे अपने तुम्हारी पहचान निर

परी ( जागरण की अग्रदूत )

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अरे सृष्टि ! इन्हें ले जाइये आश्रम के अतिथिगृह में इनको कमरे में पहुचा दीजिये – एक स्निग्ध और अपने तेज से वातावरण को देदीप्यमान करने वाली लडकी ने एक महिला की तरफ इशारा करते हुए कहा | जी दीदी - सृष्टि बोली और उन महिला को लेकर अन्दर जाने लगी | अरे शिव जी कहा है ? – आगे वो लड़की बोली | सृष्टि ने कहा – स्टडी में है | असल में ये एक लडकी है जो समाज को समर्पित और पेशे से अधिवक्ता तथा शिव के “आदर्श भारत” आश्रम की संचालिका |नाम है परी | गुड इवनिंग शिव जी – स्टडी में   आई | शिव जी आज एक सवाल कौध  ले  दिमाग में ये दहेज़ की उत्पत्ति कहाँ से है? कारण क्या है इस भयावह बीमारी का | शिव – ओह ! इतन बड़ा सवाल ? तो सु  रहा है मेरे घुसते हुए परी बोली | गुड इवनिंग परी, कैसी है ? कैसा रहा  आज का दिन ?- शिव ने परी की तरफ मुखातिब होए हुए पूछा | परी- क्या बताऊं आज जब मैं आश्रम के लिए आ रही थी तो मैंने एक महिला की चीख सुनी मैंने देखा घर के कुछ सदस्य एक महिला को प्रताड़ित कर रहे थे | उसे बचने के लिए गयी और पूछने पर उस महिला ने बताया की विवाह में दहेज़ कम मिला था | दहेज़ से परिवार वाले खुश नहीं ह