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Showing posts from October, 2017

शरद ऋतु

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शरद ऋतु ============== कल अंकुर भैया ने हमसे कहा आखिर लोग हर किसी को सौ शरद की ही कामना क्यों करते हैं ? सौ ग्रीष्म, वर्षा, शिशिर, बसन्त या हेमंत क्यों नहीं ? आखिर 6 ऋतुएं होती हैं उसमें से शरद में ही ऐसा क्या है ? तो इस प्रश्न के उत्तर से पूर्व हम शरद ऋतु के बारे में जानते हैं । शरद ऋतु का समय विक्रम संवत पंचांग के अनुसार अश्विन (कुवार) और कार्तिक मास होता है जब वर्षा ऋतु समाप्त होती है तथा शिशिर ऋतु से पूर्व होता है । श्रीरामचरितमानस में में उल्लिखित है कि राम जी लक्ष्मण जी से शरद ऋतु के बारे में कहा है - वरषा विगत सरद ऋतु आई । लछिमन देहतु परम सुहाई ।। फूले कास सकल महि छाई । जनु बरषाँ कृत प्रकट बुढाई ।।    राम जी कहते हैं - हे लक्ष्मण ! देखो वर्षा ऋतु बीत गयी और परमसुन्दर शरद ऋतु आ गयी पुष्पित हुई कास की झाड़ियों के धरती ऐसे छा गई है जैसे वर्षा सुंदरी की वृद्धावस्था प्रकट हो गई है । महाकवि कालिदास ने ऋतुसंहार में शरद ऋतु का वर्णन करते हुए लिखा है - लो आ गई यह नववधू सी शोभायमान शरद नायिका ! कास के सफेद पुष्पों ढकी श्वेतवस्त्र धारण किये हुए जिसका मुख सफेद कमल के पुष्पो

लक्ष्मी का अवतरण

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लक्ष्मी का अवतरण ============ समुद्र मंथन से उत्पन्न होने वाले चौदह रत्नों में से लक्ष्मी एक हैं उन्होंने सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु का वरण किया । समुद्र मंथन की कथा में आठवें रत्न के रूप में लक्ष्मी अवतरित हुईं । समुद्र मंथन के लिए क्षीर सागर को चुना गया और मन्दराचल पर्वत की मथनी तथा वासुकी नाग को डोरी बनाया गया तथा इंद्र की अगुवाई में देवताओं तथा राजा बलि की अगुवाई में दैत्यों ने भाग लिया और कच्छप (कूर्म) रूप में भगवान विष्णु ने मन्दराचल को धारण किया । गीता में भगवान श्रीकृष्ण चन्द्र जी कहते हैं कि मैं सागरों में क्षीर सागर हूँ, पर्वतों में मन्दराचल हूँ, नागों में वसुकी हूँ, देवताओ में इंद्र हूँ तथा दैत्यों में महाराज बलि हूँ । अर्थात लक्ष्मी ने उसी का वरण किया जो कि जगत पालन का कार्य करता है तथा स्वयं के अन्तस् में स्वयं को साधन बनाकर स्वयं का मंथन किया । वास्तव में लक्ष्मी से तात्पर्य हमें  धन अथवा एक देवी मात्र से ही नहीं लगाना चाहिए अपितु इसके पीछे अन्य घटनाओं की तरह निहित दर्शन को जानना चाहिए । क्षीर सागर एक ऐसा समुद्र है जिसका आदि अंत का पता लगाना मनुष्य के लिए

कर चोरी, कालाधन और भ्रष्टाचार के नए आयाम क्रिप्टो करेंसी

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कल एक जन आये थे समझाने की बिटकॉइन जैसी क्रिप्टो करेंसी में निवेश कीजिये बड़ा रिटर्न है इसमें सरकारों का कोई हस्तक्षेप नहीं जैसी जैसी बातें । वास्तव में सबसे पहली क्रिप्टो करेंसी बिटकॉइन नाम से सतोसी नाकामुतो नाम के जापानी प्रोग्रामर ने तैयार किया 2008 में आज के दौर में यह दुनिया की सबसे महंगी करेंसी है $ (USD) और £ ( GBP) से भी महंगी पर इसकी कोई प्रतिभूति (गारन्टी) लेने वाला नहीं है । सबसे पहले जानते है मुद्रा आजकल जो  प्रचलन में है वो क्या है । वास्तव में एक नोट एक विशेष प्रकार का परक्राम्य लिखत (Negotiable Instrument) है जिसे वचन पत्र ( Promissory Note) कहते हैं जहां पर किसी राष्ट्र की सबसे बड़ी संस्था उस देश की सरकार का जो केंद्रीय बैंक होता है वो एक वचन (promise ) करता है कि मैं इस वचन पत्र को धारण करने वाले को इस वचन पत्र के मूल्य के बराबर धन अदा करने का वचन देता हूँ । यहां पर तो दिखने वाली एक संस्था प्रतिभूति दे रही है पर क्रिप्टो मुद्रा में कोई प्रतिभूति नहीं है । यहां तक कि लोगों ने सतोसी को देखा भी नहीं है । फिर भी इतना क्रेज क्यों है इस मुद्रा का जो न तो प्रमाणिक है और