लक्ष्मण पर शक्ति प्रहार
आज मेघनाद ने रावण को वचन दिया ऐसा युद्ध करूँगा की तीनों लोक और दसों दिशाओं के दिग्पाल अचंभित रह जाएंगे । इतना कहकर वह अपने मायामय रथ पर चढ़कर लंका के उत्तर द्वार पर आ डटा ; मेघनाद गधों से जुते हुए रथ पर ऐसा लग रहा था मानो कज्जल गिरी की चोटी हाथ में धनुष लिए रथ पर सवार हो चली आ रही हो , उसका अट्टहास ऐसा प्रतीत हो रहा था मानों मंदार पर बादल टकरा रहे हों आपस में बज्रपात होने वाला है । अब दोनों सेनाएं सामने आ डटी थी मानों दो जलराशियां बन्ध तोड़कर एक दूसरे से मिल जाने और सामने वाले को अपने बहाव में शामिल कर लेने को आतुर हों । मेघनाद ने भयानक नाद करते हुए अपने धनुष पर बाण साधे वे यूँ दौड़े मानों टिड्डी के दल चल पड़े हों फसल देखकर और फसल को समूल चट कर जाने को उद्यत हों । वानर सेना भी हनुमान, अंगद और लक्ष्मण को पुकारती हुई भाग चली ऐसा लग रहा था मानो वृत्त के आतंक से देव् समूह ऋषि दधीचि को खोजने भाग चला हो । लक्ष्मण का आसरा पा वानरों को लगा जैसे बलि से हारे हुए देवताओं को उपेंद्र का आसरा मिल गया हो । रामानुज को साथ ले वानर युद्ध भूमि की तरफ चल पड़े जहां घननाद ने आतंक मचाया हुआ था । उसे देख क