अभागा
ऑफिस में काम करके थका हुआ घर की तरफ चला मन ही मन सोच रहा था घर पहुँचूँगा तो थोड़ा आराम करूँगा थोड़ा दिमाग फ्रेश होगा । घर पहुचते ही पिता जी ने कहा - सुनो पहले इधर आओ । जी पापा बताइये । अरे भई अपनी बीबी को समझाओ तुम उसे सिर पर चढ़ा रखे हो तुम्हारी माँ से लड़ती है दिनभर कुछ लगाम कसो उसपर । जी पापा । मैं बात करूँगा उनसे । - बोलकर आगे बढ़ना चाहा तभी पीछे से पापा की आवाज सुनाई दी - बात करूँगा नही करो अभी । अभी बरामदे में ही पँहुचा था कि माँ की आवाज सुनाई दी - बेटा आ गया ऑफिस से ? देखो मेरा बेटा कितना दुबला हो गया । ये कलमुंही मेरे बेटे का कुछ ख्याल ही नही रखती बस दिनभर मुझसे लड़ना है और कोई काम ही नही है इसे । बेटा देखो आज मेरे साथ ऐसा - ऐसा किया । खुल गया शिकायतों का पिटारा । बेटा तुम ही कुछ करो इसका पता नही कहाँ से ये चुड़ैल आ गयी मेरे परिवार की शांति भंग हो गयी । ठीक मम्मी देखता हूँ अभी । ये कहकर वो घर में दाखिल हुआ पीछे से मम्मी और पापा के बात करने की आवाज सुनी पापा कह रहे थे ये भी कम थोड़े न है कहने को तो पैदा इन्हें हमने किया पर "लुगाई लट्टू" बने टहल रहे है । मम्मी बोली -